-बावजूद “भ्रष्ट बाबुओं” ने की थी प्रदेश को शिकंजे में लेने की कोशिश
-नकल माफिया पर नकेल कसने के लिए धामी सरकार ला चुकी सख्त कानून
-धामी के 3 साल के कार्यकाल में सवा सौ से अधिक भ्रष्टाचारियों पर चला हंटर
-लंबे समय तक रहेगी भ्रष्टाचारियों पर हालिया स्ट्राइक की धमक
अर्जुन बिष्ट/ वरिष्ठ पत्रकार
देहरादून। भ्रष्ट बाबुओं के मायाजाल को तोड़ने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जबरदस्त हंटर चलाया है। इन दिनों भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मुख्यमंत्री धामी की सर्जिकल स्ट्राइक खासी चर्चाओं में है। उनके निर्देश पर एक हफ्ते में शासन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ दो बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया है। धामी सरकार की इस कार्रवाई में दो वरिष्ठ आईएएस अफसरों, एक वरिष्ठ पीसीएस अफसरों के साथ ही लापरवाही बरतने पर दो अधिशासी अभियंताओं व कई अन्य अधिकारियों/कर्मचारियों पर भी गाज गिरी है। धामी सरकार के इस एक्शन के बाद ब्यूरोक्रेसी व सिस्टम में बैठे “भ्रष्ट बाबूओं” के तबेले में हड़कंप मचा हुआ है। भ्रष्टाचारियों को कॉकस को तोड़ने के लिए सरकार के द्वारा की गई इन बड़ी कार्रवाइयों के बाद राज्य के आमजन में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है।
बड़ा मामला हरिद्वार नगर निगम क्षेत्र का है। यहां जमीन घोटाले की सनसनीखेज खबर आयी। हरिद्वार के नगर निगम क्षेत्र में 2.3070 हेक्टेयर जमीन को करोड़ों में खरीदने के बाद यह मामला उठा था। मामले की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिव राजस्व रणवीर सिंह चौहान को इसकी जांच सौंप थी। चौहान की जांच में नगर निगम हरिद्वार के तत्कालीन प्रशासक और वर्तमान में हरिद्वार के जिलाधिकारी के पद पर कार्यरत कर्मेंद्र सिंह के साथ ही हरिद्वार नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त वरुण चौधरी और हरिद्वार के तत्कालीन उप जिलाधिकारी अजय वीर सिंह सहित उनके अधीनस्थ और इस गोरख धंधे में शामिल चार अन्य कार्मिकों की संलिप्तता सामने आई। सचिन की रिपोर्ट सामने आने के बाद रिपोर्ट सामने आते ही मुख्यमंत्री ने तत्काल इन सबके निलंबन के निर्देश जारी कर दिए।
इस मामले में जिन अन्य अधिकारियों पर गाज गिरी है, उनमें वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की, तत्कालीन रजिस्टर कानूनगो व वर्तमान में तहसीलदार हरिद्वार राजेश कुमार के साथ ही मुख्य प्रशासनिक अधिकारी हरिद्वार तहसील कमल दास को इसी सप्ताह निलंबित किया गया है। जबकि इस मामले के सामने आने के बाद प्रथम दृष्टया हरिद्वार के प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल की सेवा पहले ही समाप्त की जा चुकी थी तथा प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट व अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को निलंबित किया जा चुका था। यही नहीं एक अन्य कार्मिक संपत्ति लिपिक वेदपाल का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया था।
इसी महीने की 3 जून को हरिद्वार भूमि घोटाले के दोषियों के खिलाफ एक्शन होने के मात्र तीन दिन बाद मुख्यमंत्री फिर एक्शन में दिखे। सीमांत जनपद चमोली के थराली विकास खंड मुख्यालय से रतगांव मार्ग पर निर्माणाधीन बैली ब्रिज के गिर जाने की सूचना मिलते ही धामी ने तत्काल चार अभियंताओं को निलंबित करने के निर्देश दिये। इनमें लोग निर्माण विभाग थराली के अधिशासी अभियंता दिनेश मोहन गुप्ता, कर्णप्रयाग लोक निर्माण प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता नवीन लाल, लोनिवि थराली के सहायक अभियंता आकाश हुंडिया व अवर अभियंता मयंक शामिल हैं। इस मामले में ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई भी की जा रही है।
धामी सरकार का यह एक्शन न केवल सियासी हलकों में बल्कि समुचे ब्यूरोक्रेसी और सरकारी सिस्टम के भीतर जबरदस्त चर्चाओं में बताया जा रहा है। सत्ता की गलियारों से लेकर राज्य के आमजन भी सरकार की इस तरह की सख्ती पर न केवल चर्चा कर रहे हैं, बल्कि सरकार की पीठ भी थपथपा रहे हैं। विपक्षी दल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इस क्रिया को लेकर सरकार की पीठ थपथपाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि उन्होंने कुछ और मामलों को जोड़कर कार्रवाई की अपेक्षा भी की।
पिछले 3 साल से यूं तो सैकड़ों भ्रष्टाचारी चंगुल में फंसे हैं, लेकिन इस बार के दो बड़े एक्शन में बड़ी मछलियां भी जाल में फंसी हैं। हरिद्वार जैसे बड़े जिले के कलेक्टर के पद पर बैठे अधिकारी और एक अन्य कलेक्टर रैंक के ही आईएएस अधिकारी पर हाथ डालना आसान नहीं था। अच्छी बात यह है कि हरिद्वार प्रकरण में इतनी बड़ी कार्रवाई होने के बाद सरकार ने इस मामले की विस्तृत जांच करने के लिए बिजलेंस को सौप दिया है तथा जमीन खरीद फरोख्त की सारी सेल डीड निरस्त करने के साथ ही धन की रिकवरी के आदेश भी दे दिए हैं। सियासी हलकों में माना जा रहा है कि धामी सरकार के इस सर्जिकल स्ट्राइक की गूंज सिस्टम के भीतर लंबे समय तक रहेगी और भ्रष्टाचारी सहम कर काम करेंगे।
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इनसेट
सत्तारूढ़ होते ही भ्रष्टाचारियों पर धामी चलाने लगे थे हंटर
देहरादून। उत्तराखंड की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए शुरुआती दिन काफी कड़वे रहे। जैसे ही धामी ने सत्ता संभाली उसी दौरान अधीनस्थ चयन आयोग ने कई भर्ती परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए।
परीक्षा परिणाम सामने आते ही मुख्यमंत्री धामी के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गयी। करीब-करीब सभी परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और पेपर लीक जैसे गंभीर मामले सामने आए। इन परीक्षा परिणाम को देखकर यह साफ हो गया था कि हाकिम सिंह जैसे नकल माफिया का पूरा रैकेट परीक्षा प्रणाली को दीमक की तरह चाट गया था। नकल माफिया ने जहां एक और भर्ती परीक्षाओं के पेपरों में सेंध लगाई वहीं भर्ती परीक्षाओं के परिणाम तैयार करने वाली टीम को भी यह नकल माफिया गैंग पूरी तरह अपनी गिरफ्त में ले चुका था। मुख्यमंत्री धामी के लिए यह बिल्कुल वैसी ही स्थिति थी, जैसे सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना। पक्ष विपक्ष से लेकर सोशल मीडिया पर आम जन भी सरकार पर निशाना साधने लगा था। उसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जो सख्ती दिखाई उसका असर आज तक साफ दिख रहा है।
सरकार ने न केवल हाकिम सिंह जैसे नकल माफिया गैंग की कमर तोड़ दी बल्कि के लिए भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और नकल जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून भी बना दिया। सरकार की इस सख्ती का यह असर रहा कि तब से लेकर के आज तक किसी भी भर्ती परीक्षा में किसी भी तरह की गड़बड़ी की बात सामने नहीं आई।
उस नकल विरोधी कानून के बनने के बाद से अब तक उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से करीब तीन दर्जन से अधिक परीक्षाओं के परिणाम सामने आ गए हैं। इन परीक्षाओं के माध्यम से विभिन्न विभागों में लगभग 40,000 से अधिक खाली पदों के लिए नियुक्तियां हुई हैं। ये नियुक्तियां शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, वन विभाग, राजस्व विभाग व अन्य निर्माण विभागों के साथ ही कमोवेश सभी विभागों में हुई हैं। सरकार की शक्ति का असर यह रहा कि उसके बाद किसी भी परीक्षा में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हो पायी। एक भी परीक्षा पर किसी भी तरह का सवाल नहीं उठा।
इसके साथ ही रिश्वतखोरी और दूसरे तरह के भ्रष्टाचार पर भी सरकार पूरे एक्शन में दिख रही है। इन तीन वर्षों में आंकड़े बताते हैं कि 130 से अधिक भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों पर गाज गिरी है। भ्रष्टाचार के मामलों में दंडित होने वालों में पटवारी से लेकर के पुलिस के अफसर व राजस्व से विभाग से लेकर अन्य विभागों के बाबू और अफसर भी शामिल हैं। कुल मिलाकर भ्रष्टाचार को लेकर धामी सरकार ने जिस तरह के तेवर दिखाए हैं उससे प्रदेश के आमजन में सरकार के प्रति एक बड़े विश्वास की बहाली हुई। भर्ती परीक्षाओं में नकल को लेकर राज्य का युवा वर्ग बहुत व्यथित था जो अब परीक्षाओं में गड़बड़ी रुकने के बाद काफी हद तक शांत हो चुका है।